श्रीनगर गढ़वाल। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट लेनिनवादी पार्टी माकपा-माले के केंद्रीय कंट्रोल रूम के अध्यक्ष और जनसंघर्षों की मजबूत आवाज रहे राजा बहुगुणा के निधन की खबर से उत्तराखंड सहित राष्ट्रीय राजनीतिक हलकों में शोक की लहर दौड़ गई है। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि राजा बहुगुणा न केवल एक प्रखर विचारक थे,बल्कि जनहित के मुद्दों पर निर्भीकता से संघर्ष करने वाले कर्मठ नेता भी थे। राजा बहुगुणा का आज सुबह दिल्ली के बी.एल.कपूर अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से लिवर कैंसर से जूझ रहे थे। धीरेंद्र प्रताप ने बताया कि बहुगुणा उन चुनिंदा नेताओं में रहे जिन्होंने उत्तराखंड और राष्ट्रीय राजनीति में वैचारिक संघर्ष की परंपरा को मजबूती प्रदान की। माकपा-माले की स्थापना के समय से वे संगठन का प्रमुख चेहरा रहे और वर्तमान में पार्टी की सेंट्रल कंट्रोल कमेटी के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे थे। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि बहुगुणा का जीवन संघर्ष और समर्पण की मिसाल था। उन्होंने कई बार बहुगुणा के उपचार के लिए उत्तराखंड सरकार से सहयोग की मांग की थी,लेकिन किसी प्रकार की आर्थिक सहायता उपलब्ध न हो सकी,जिसके चलते उनका अंतिम समय कठिनाइयों में बीता। बावजूद इसके,बहुगुणा कभी सहायता की अपेक्षा नहीं रखते थे और मानते थे कि एक जननेता की जिम्मेदारी और दायित्व जनता के प्रति ही होता है। राजा बहुगुणा के पार्थिव शरीर को हल्द्वानी ले जाया जा रहा है,जहां कल उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि बहुगुणा का निधन वामपंथी राजनीति ही नहीं,बल्कि जन आंदोलनों की संघर्षशील परंपरा के लिए अपरिवर्तनीय क्षति है। उन्होंने दिवंगत नेता की आत्मा की शांति और परिजनों को इस दुख की घड़ी में शक्ति प्रदान करने की कामना की।








