देवप्रयाग/श्रीनगर गढ़वाल। देवभूमि उत्तराखंड के लिए गर्व का क्षण तब आया जब केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के श्रीरघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग ने राष्ट्रीय स्तर के उत्तर क्षेत्रीय युवा महोत्सव-2025 में द्वितीय स्थान प्राप्त कर राज्य का नाम गौरवान्वित किया। हरियाणा के अम्बाला स्थित श्री दीवानकृष्ण किशोर सनातनधर्म संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित इस भव्य आयोजन में उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों-जम्मू,हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के संस्कृत परिसरों से जुड़े महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। युवा महोत्सव का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण,प्रचार-प्रसार और युवाओं में शारीरिक व मानसिक चेतना का विकास करना है। इस प्रतियोगिता में लगभग 30 विधाओं में मुकाबले आयोजित किए गए,जिनमें देवप्रयाग के श्रीरघुनाथ कीर्ति परिसर के 40 प्रतिभागियों ने भाग लेकर अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। परिसर ने कुल 19 पदक हासिल किए-जिनमें 9 स्वर्ण,6 रजत और 4 कांस्य पदक शामिल हैं। इस उपलब्धि के साथ ही परिसर ने संपूर्ण उत्तर क्षेत्र में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। सांस्कृतिक एवं साहित्यिक प्रतियोगिताओं में परिसर के प्रतिभागियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। समूहगान में अर्चना,शोभिता,पायल रावत,योगेश और हरिवंश ने प्रथम स्थान प्राप्त कर संस्कृत संगीत की मधुर छटा बिखेरी। संस्कृत अनुवाद में लोकेश ने प्रथम वहीं संस्कृत वार्ता लेखन में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। संस्कृत ब्लॉग लेखन में आर.एस.विभूति ने प्रथम स्थान प्राप्त कर आधुनिक युग में संस्कृत की उपयोगिता को दर्शाया। संगणक प्रतियोगिता में अजीत कुमार ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। शारीरिक प्रतियोगिताओं में भी दिखा दमखम-शारीरिक प्रतियोगिताओं में भी छात्रों ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। योगासन में खेमराज ने प्रथम,मुस्कान ने द्वितीय स्थान पाया। दौड़ प्रतियोगिता में गौरी नवानी (200 मीटर-प्रथम,ऊंची कूद-प्रथम),कैलाश (200 मीटर-तृतीय),मीनाक्षी (100 मीटर-द्वितीय),गगन पांडेय (400 मीटर-द्वितीय,800 मीटर-तृतीय),अमन उपाध्याय (1500 मीटर-प्रथम) तथा शोभा (400 मीटर-तृतीय,लंबी कूद-द्वितीय) ने अपनी श्रेष्ठ एथलेटिक क्षमता का प्रदर्शन किया। गोलाफेंक में अरुण ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। कुश्ती में आदित्य भंडारी (65 किग्रा वर्ग) प्रथम और सारथी कल्याणवत (57 किग्रा वर्ग) द्वितीय स्थान पर रहे। इस शानदार उपलब्धि पर परिसर निदेशक प्रो.पी.वी.बी.सुब्रह्मण्यम् ने समस्त विजेता छात्रों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि हमारे विद्यार्थियों ने न केवल परिसर बल्कि सम्पूर्ण उत्तराखंड का मान बढ़ाया है। यह संस्कृत की जीवंत परंपरा और युवा शक्ति का सशक्त उदाहरण है। महोत्सव के संयोजक डॉ.अनिल कुमार,मार्गदर्शक हिमांशु बिजोला,रजत गौतम छेत्री और पायल पाठक ने भी छात्रों के समर्पण और मेहनत की सराहना की। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि ऐसे आयोजनों से न केवल संस्कृत भाषा का पुनर्जागरण होता है,बल्कि छात्र-छात्राओं में आत्मविश्वास,नेतृत्व क्षमता और सांस्कृतिक चेतना का भी विकास होता है। युवा महोत्सवों के माध्यम से भारत की गौरवशाली ज्ञान परंपरा आधुनिक युग के साथ नई दिशा में अग्रसर हो रही है।








