देहरादून/श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित दो दिवसीय जनपद स्तरीय संस्कृत छात्र प्रतियोगिताएं भव्य पुरस्कार वितरण समारोह के साथ संपन्न हुईं। इस वर्ष की प्रतियोगिताएं कई मायनों में विशेष रहीं-जहां पारंपरिक संस्कृत शिक्षा संस्थानों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया,वहीं अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों की छात्राओं ने भी शानदार प्रदर्शन कर सभी का ध्यान आकर्षित किया और शीर्ष स्थान हासिल किए। प्रतियोगिता के संयोजक आचार्य आसाराम मैठाणी ने बताया कि जनपद के छह विकासखंडों में प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाली टीमों ने इस जनपद स्तरीय चरण में प्रतिभाग किया। इनमें विकासनगर स्थित सेपियंस स्कूल की छात्राओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त कर अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों की प्रतिभा का जौहर दिखाया। वरिष्ठ वर्ग की प्रतियोगिताओं का विस्तृत परिणाम-समूह गान प्रतियोगिता में प्रथम-सेपियंस स्कूल विकासनगर,द्वितीय-आर्ष कन्या गुरुकुल,तृतीय-आर्ष गुरुकुल पौधा। संस्कृत नाटक में प्रथम-राजकीय इंटर कॉलेज पटेल नगर,द्वितीय-सनातन धर्म इंटर कॉलेज,तृतीय-श्री नेपाली संस्कृत विद्यालय ऋषिकेश। संस्कृत नृत्य में प्रथम-कन्या गुरुकुल महाविद्यालय देहरादून,द्वितीय-कैंट कन्या इंटर कॉलेज,तृतीय-अटल उत्कृष्ट इंटर कॉलेज त्यूनी। आशु भाषण में प्रथम-आर्ष कन्या गुरुकुल महाविद्यालय देहरादून,द्वितीय-आर्ष दयानंद पौधा,तृतीय-श्री दयाराम संस्कृत महाविद्यालय ऋषिकेश। श्लोक उच्चारण में प्रथम-श्री वेद महाविद्यालय ऋषिकेश,द्वितीय-गुरु राम राय इंटर कॉलेज,तृतीय-आर्ष कन्या गुरुकुल महाविद्यालय। संस्कृत वाद-विवाद में प्रथम-आर्ष गुरुकुल पौधा द्वितीय-वेद महाविद्यालय ऋषिकेश,तृतीय-जयराम संस्कृत महाविद्यालय ऋषिकेश। मुख्य शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार ढौंडियाल ने छात्र-छात्राओं,शिक्षक-समूह और निर्णायकों को संबोधित करते हुए कहा संस्कृत हमारी द्वितीय राजभाषा है। इन प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चों ने जो सीखा है,उसे समाज में फैलाना ही हमारे प्रयासों की सार्थकता है। संस्कृत ज्ञान सदैव प्रगति और संस्कारों का आधार रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ.चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने कहा कि देहरादून जनपद हमेशा राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में सम्मानजनक स्थान प्राप्त करता आया है। इस परंपरा को बनाये रखना है। हारने वाले विद्यार्थी निराश न हों,बल्कि विजेताओं से प्रेरणा लेकर अगले वर्ष बेहतर तैयारी करें। पूर्व राज्य मंत्री सुभाष जोशी ने कहा संस्कृत भाषा भारत की आत्मा है। जिस प्रकार शरीर को प्राण की आवश्यकता होती है,उसी प्रकार संस्कृति को संस्कृत भाषा से ऊर्जा मिलती है। ऐसी प्रतियोगिताएं निश्चित ही संस्कृत के संरक्षण और विस्तार में मील का पत्थर साबित होंगी। मुख्य अतिथि,विशिष्ट अतिथि और कार्यक्रम अध्यक्ष द्वारा विजेता दलों,निर्णायकों तथा मार्गदर्शक शिक्षकों को नगद पुरस्कार और प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। इसी के साथ दो दिवसीय प्रतियोगिताओं का सफलता पूर्वक समापन हुआ। संयोजक आचार्य आसाराम मैठाणी ने बताया कि जनपद स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाली टीमें दिसंबर में आयोजित होने वाली राज्य स्तरीय संस्कृत छात्र प्रतियोगिताओं में जनपद का प्रतिनिधित्व करेंगी। समारोह में सभी विकासखंड संयोजक,प्रधानाचार्य,शिक्षकगण,कर्मचारी और अनेक विद्यार्थी उपस्थित रहे।








