कीर्तिनगर/श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड की पर्वतीय धरती आज जिस सबसे बड़ी सामाजिक और आर्थिक चुनौती से जूझ रही है,वह है बेरोजगारी। यह स्थिति तब और अधिक चिंताजनक हो जाती है जब शिक्षित और सक्षम युवा काम करने की इच्छा रखते हुए भी अवसरों के अभाव में निराशा का सामना करते हैं। बेरोजगारी न केवल व्यक्ति के आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को आघात पहुंचाती है,बल्कि यह प्रदेश की समग्र प्रगति की राह में भी सबसे बड़ी रुकावट बन गई है। जिला कांग्रेस कमेटी देवप्रयाग टिहरी गढ़वाल के जिला महासचिव गम्मा सिंह ने कहा कि प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी के पीछे कई गहरे कारण हैं-शिक्षा प्रणाली में व्यवहारिक प्रशिक्षण की कमी,औद्योगिक विकास की सुस्त गति,कौशल विकास के ठोस अवसरों का अभाव और सरकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन न होना। उन्होंने कहा कि सरकार को अब केवल आंकड़ों और घोषणाओं तक सीमित न रहकर,धरातल पर ठोस कदम उठाने होंगे। राज्य के नवयुवकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए छोटे-छोटे कुटीर उद्योग और स्वरोजगार आधारित योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए। पहाड़ी क्षेत्रों में लघु उद्योग,फूलों और औषधीय पौधों की खेती,सब्जी एवं फल पट्टियों का विकास कर युवाओं को प्रशिक्षण के माध्यम से रोजगार से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पहाड़ों से लगातार हो रहे पलायन की एक बड़ी वजह भी बेरोजगारी है। यदि राज्य सरकार ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्योग विकसित करे,तो न केवल युवाओं को घर के पास रोजगार मिलेगा,बल्कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था भी सशक्त होगी। गम्मा सिंह ने प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा भाजपा सरकार चुनावों के समय बड़े-बड़े वादे करती है,परंतु जब रोजगार देने की बात आती है तो सरकार चुप्पी साध लेती है। बेरोजगारों को सिर्फ आश्वासन नहीं,बल्कि ठोस अवसर चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड के अनेक सरकारी विभागों में आज भी हजारों पद रिक्त पड़े हैं,परंतु भाजपा सरकार ने इन पदों को भरने की दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं की है। सरकार को चाहिए कि शीघ्र इन रिक्त पदों पर पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया शुरू कर बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान करे। यदि यही हाल रहा तो शिक्षित युवाओं का मनोबल टूट जाएगा और राज्य का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। गम्मा सिंह ने मांग की है कि राज्य सरकार एक समर्पित युवा रोजगार मिशन प्रारंभ करे,जिसके अंतर्गत जिले और ब्लॉक स्तर पर बेरोजगारों की पहचान कर उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण,ऋण सुविधा और विपणन सहायता प्रदान की जाए। अंत में गम्मा सिंह ने कहा कि अगर सरकार समय रहते ठोस नीति नहीं बनाती,तो उत्तराखंड के शिक्षित युवाओं का भविष्य अंधकार में चला जाएगा और यह प्रदेश के लिए सबसे बड़ा सामाजिक संकट साबित होगा।








