पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। विश्व एड्स दिवस के अवसर पर आज स्वास्थ्य विभाग और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) पौड़ी के संयुक्त तत्वावधान में इंटरमीडिएट कॉलेज परसूंडाखाल में जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव नाजिश कलीम ने की। गोष्ठी का उद्देश्य छात्रों में एड्स/एचआईवी के प्रति जागरूकता बढ़ाना तथा सामाजिक भ्रांतियों को दूर कर वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना था। सचिव नाजिश कलीम ने अपने संबोधन में कहा कि एड्स के प्रति जागरूकता ही इस गंभीर बीमारी से बचाव का सबसे प्रभावी साधन है। उन्होंने छात्रों को बताया कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को सही जानकारी देना और समाज को एड्स से जुड़ी गलत धारणाओं से मुक्त करना है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी जागरूक होगी तो समाज को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगी। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ.कंचन ने छात्रों को एड्स और एचआईवी संक्रमण के वैज्ञानिक स्वरूप,इसके प्रभाव,लक्षण,संक्रमण के तरीके और उपचार संबंधी विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा एचआईवी संक्रमण की अंतिम और सबसे गंभीर अवस्था को एड्स कहा जाता है। इस अवस्था में श्वेत रक्त कोशिकाओं (WBC) की संख्या बहुत कम हो जाती है,जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता गंभीर रूप से कमजोर पड़ जाती है। एड्स संक्रमित व्यक्ति अनजाने में दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है,इसलिए सावधानी और जागरूकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। डॉ.कंचन ने विद्यार्थियों को एड्स से बचाव के प्रमुख उपायों पर भी जोर दिया-सुरक्षित यौन संबंध रखें। उपयोग की गई सुई या सिरिंज कभी साझा न करें। रक्त हमेशा पंजीकृत ब्लड बैंक से ही प्राप्त करें। गर्भावस्था की पहली तिमाही में एचआईवी की जांच अवश्य कराएं। उन्होंने कहा कि सही जानकारी,सावधानियां और जिम्मेदार व्यवहार से एड्स को नियंत्रित किया जा सकता है। कार्यक्रम में विद्यालय की प्रधानाचार्या अंजू,डॉ.सुमित,रिटेनर विनोद,रश्मि,स्वेता गुसाईं सहित शिक्षक व विद्यालय स्टाफ उपस्थित रहे। छात्र-छात्राओं में आदित्य,रितिका,शीतल,दीपक सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने गोष्ठी में भाग लेकर उत्साह प्रदर्शित किया। गोष्ठी के माध्यम से छात्रों को न केवल एड्स से जुड़े तथ्यों की जानकारी मिली बल्कि उनसे जुड़ी सामाजिक मिथकों को भी खत्म करने में मदद मिली। आयोजकों का मानना है कि ऐसे कार्यक्रमों से युवाओं में जागरूकता बढ़ती है और समाज में एड्स के प्रति संवेदनशीलता व सही समझ विकसित होती है।








