श्रीनगर गढ़वाल। राष्ट्रीय गंगा नदी दिवस के अवसर पर हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय परिसर में गंगा विश्व धरोहर मंच एवं विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस अवसर पर गंगा के आध्यात्मिक,सांस्कृतिक,साहित्यिक एवं पर्यावरणीय पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ,जिसमें देशभर के विद्वानों,पर्यावरणविदों,पत्रकारों और गंगा प्रेमियों ने भाग लिया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पद्मश्री तथा रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित एम.सी.मेहता ने कहा गंगा केवल नदी नहीं,बल्कि भारत की आत्मा है। यदि गंगा प्रदूषित होती है,तो हमारी संस्कृति,चेतना और सभ्यता भी दूषित हो जाती है। गंगा का संरक्षण राष्ट्र की आध्यात्मिक रक्षा का माध्यम है। उन्होंने यह भी कहा कि गंगा को स्वच्छ और अविरल बनाए रखना हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य है,न कि केवल सरकार या संस्थाओं की जिम्मेदारी। इस अवसर पर मेहता ने गढ़वाल विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रख्यात प्रोफेसर डॉ.कपिल देव पंवार को गंगा सेवा सम्मान से सम्मानित किया। यह सम्मान गंगा के साहित्यिक,सांस्कृतिक और जनजागरण से जुड़े उनके निरंतर योगदान के लिए प्रदान किया गया। सम्मान प्राप्त करने के उपरांत डॉ.पंवार ने गंगा के आध्यात्मिक आख्यानों और साहित्यिक स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए अपनी प्रसिद्ध गंगा कविता का पाठ किया। उन्होंने कहा गंगा सबकी आस्था का केंद्र है और आधे भारत की प्राणदायिनी। लेकिन दुख की बात यह है कि गंगा की जलधारा की स्थिति आज पर्यावरणीय दृष्टि से चिंताजनक है। गंगा को निर्मल और अविरल बनाए रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। उनके वक्तव्य पर सभागार देर तक तालियों से गूंजता रहा। संगोष्ठी में वक्ताओं ने गंगा के इतिहास,धर्म,समाज और पर्यावरण से जुड़े विविध पहलुओं पर विचार रखे। पर्यावरणविदों ने औद्योगिक अपशिष्टों पर चिंता व्यक्त की,वहीं पत्रकारों ने गंगा संरक्षण में मीडिया की जागरूक भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। साहित्यकारों ने गंगा को भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक बताते हुए कहा कि गंगा में भारत की संवेदना और सभ्यता प्रवाहित है। कार्यक्रम में गंगा संरक्षण,पर्यावरणीय पत्रकारिता,धार्मिक आस्था और जनजागरण के क्षेत्र में योगदान देने वाले कई विद्वानों,सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को भी सम्मानित किया गया। सभी प्रतिभागियों ने गंगा की स्वच्छता और अविरलता के लिए सामूहिक संकल्प लिया। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने एक स्वर में कहा गंगा हमारी पहचान है और इसका संरक्षण हमारा राष्ट्रीय दायित्व। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय प्रशासन एवं गंगा विश्व धरोहर मंच के पदाधिकारियों ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।








