पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में पर्यटन विभाग द्वारा विकास खण्ड खिर्सू के मनमोहक वन क्षेत्रों में आयोजित दो दिवसीय बर्ड वॉचिंग कार्यक्रम का समापन उत्साह और ज्ञानवर्धक अनुभवों के साथ हुआ। यह कार्यक्रम न केवल पर्यावरणीय जागरूकता का प्रतीक बना,बल्कि स्थानीय युवाओं और बच्चों में प्रकृति एवं पक्षी प्रेम की नई चेतना भी जगाने वाला साबित हुआ। दो दिनों तक चले इस कार्यक्रम में स्थानीय नागरिकों,पर्यावरण प्रेमियों और स्कूली बच्चों सहित लगभग 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया। जंगलों की हरियाली और पहाड़ी हवा में जब दूरबीनों से पक्षियों को निहारा गया,तो बच्चों की आंखों में जिज्ञासा और उल्लास दोनों झलक उठे। कार्यक्रम के दौरान प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञ अजय शर्मा ने प्रतिभागियों को पक्षियों की पहचान,उनके आवास (हैबिटेट),रंग,उड़ान शैली और व्यवहार के आधार पर प्रजाति निर्धारण की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड की पर्वतीय वादियां जैव विविधता का खजाना हैं-यहां की नमी,ऊंचाई और वनस्पति अनेक दुर्लभ पक्षी प्रजातियों को आश्रय देती हैं। उन्होंने कहा यदि स्थानीय लोग पक्षियों की पहचान और उनके व्यवहार की जानकारी हासिल करें,तो वे ईको-गाइड बनकर पर्यटन क्षेत्र में आजीविका के नए अवसर पा सकते हैं। स्कूली बच्चों ने दूरबीन से पक्षियों को देखकर उनकी चहचहाहट,रंग और उड़ान शैली को समझने का प्रयास किया। उनकी यह सीख न केवल शैक्षणिक गतिविधि थी,बल्कि प्रकृति से आत्मीय जुड़ाव का अनुभव भी रही। कार्यक्रम में विकास खंड खिर्सू के प्रमुख अनिल भण्डारी विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि राज्य स्थापना दिवस हमें यह याद दिलाता है कि उत्तराखंड की आत्मा उसकी प्रकृति और लोकजीवन में बसती है। जब हम पक्षियों,पेड़ों और नदियों की रक्षा करते हैं,तब असल में अपने भविष्य की सुरक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि खिर्सू क्षेत्र में ईको-टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं और इस दिशा में ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण देकर स्थानीय रोजगार सृजन और पर्यावरण संरक्षण को साथ-साथ बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने पर्यटन विभाग की इस पहल की सराहना करते हुए इसे प्रकृति और विकास के संगम की प्रेरक पहल बताया। जिला पर्यटन विकास अधिकारी खुशाल सिंह नेगी ने कहा कि राज्य की प्राकृतिक धरोहरों का संरक्षण सभी का दायित्व है। ऐसे आयोजन युवाओं और बच्चों में पर्यावरण के प्रति रुचि बढ़ाने के साथ-साथ स्वरोजगार और ईको-टूरिज्म को भी बढ़ावा देते हैं। उन्होंने बताया कि पर्यटन विभाग भविष्य में भी इसी प्रकार की गतिविधियां आयोजित करता रहेगा,ताकि स्थानीय समुदायों की सहभागिता से पर्यटन और पर्यावरण दोनों का समन्वित विकास हो सके। कार्यक्रम में स्थानीय शिक्षक,पर्यावरण प्रेमी,छात्र-छात्राएं,वन विभाग के कार्मिक और क्षेत्रीय अधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने इस पहल को राज्य स्थापना दिवस पर प्रकृति के सम्मान में सच्चा उत्सव बताया। खिर्सू की वादियों में पक्षियों की चहचहाहट केवल संगीत नहीं,बल्कि यह प्रकृति की चेतावनी भी है-कि विकास तभी सार्थक है जब उसमें पर्यावरण की सांसें शामिल हों। पर्यटन विभाग और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की यह साझी पहल ईको-टूरिज्म की नई मिसाल बन सकती है। 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया,बच्चों ने दूरबीन से पक्षियों को निहारा,प्रजातियों की पहचान सीखी,अजय शर्मा ने पक्षियों के आवास और व्यवहार पर दी जानकारी,ब्लॉक प्रमुख अनिल भण्डारी व जिला पर्यटन अधिकारी खुशाल नेगी की प्रेरक मौजूदगी,ईको-टूरिज्म और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सफल प्रयास।








