पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। पौड़ी जिले के कल्जीखाल विकासखंड के शांत,सुंदर और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध सागुंड़ा गांव में स्थित मोतीबाग रैबासा होमस्टे आज उत्तराखंड के ग्रामीण पर्यटन की पहचान बन चुका है। मुख्यमंत्री पर्यटन स्वरोजगार योजना के तहत त्रिभुवन उनियाल द्वारा स्थापित यह होमस्टे न सिर्फ पहाड़ के विकास का नया आयाम प्रस्तुत करता है बल्कि पूरे प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा का केंद्र बन गया है। वर्ष 2021 में दीनदयाल उपाध्याय होमस्टे प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत मिले 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और कुल लागत के 30 प्रतिशत अनुदान ने त्रिभुवन उनियाल के सपने को स्वरोजगार की मजबूत नींव दी। सरकारी सहयोग,कड़ी मेहनत और दूरदर्शी सोच का नतीजा यह रहा कि मोतीबाग रैबासा होमस्टे जल्द ही उत्कृष्ट गुणवत्ता,सेवा और स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने का आदर्श उदाहरण बन गया। उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती पर जिले में सर्व श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर मोतीबाग रैबासा होमस्टे ने पूरे प्रदेश में अपना परचम लहराया। इस उपलब्धि को और ऐतिहासिक बनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं यह सम्मान न केवल उनियाल परिवार के लिए गर्व का क्षण था,बल्कि पौड़ी जिले और उत्तराखंड के ग्रामीण पर्यटन के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हुआ। आज मोतीबाग रैबासा होमस्टे से त्रिभुवन उनियाल को प्रतिवर्ष लगभग दो लाख रुपये की नियमित आय प्राप्त हो रही है। इस सफलता ने सागुंड़ा गांव के युवाओं में नई आशा जगाई है। कई युवा अब मुख्यमंत्री पर्यटन स्वरोजगार योजना का लाभ लेकर अपने गांव-घरों में ही पर्यटन आधारित नए उद्यम शुरू कर रहे हैं। इससे स्थानीय रोजगार बढ़ा है,पलायन में कमी आई है,होमस्टे के संचालन से गांव की कई महिलाओं,युवाओं और कारीगरों को भी काम मिला है किसी को भोजन तैयारी का कार्य,किसी को अतिथि सेवा का,तो किसी को स्थानीय उत्पादों की आपूर्ति का अवसर,मोतीबाग होमस्टे की विशेष पहचान इसके बद्री खोली और केदार खोली हैं। इन कमरों से बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के प्राकृतिक,दुर्लभ और मनोहारी दृश्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ यह स्थान अध्यात्म,शांति और पहाड़ी जीवन की सरलता का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। इस होमस्टे की सबसे बड़ी खासियत इसका पूरी तरह घरेलू और स्थानीय उत्पादों से तैयार किया जाने वाला भोजन है। त्रिभुवन उनियाल बाहरी सामग्री पर निर्भर न रहकर अपने खेतों में उगाए अनाज,और स्थानीय मसालों का उपयोग
करते हैं। यही कारण है कि यहां परोसे जाने वाले उत्तराखंडी व्यंजन-गार्जन,भट्ट की दाल,झंगोरा,मडुए की रोटी,सीजनल सब्जियां-देश-विदेश से आए पर्यटकों को विशेष रूप से लुभाते हैं। मोतीबाग रैबासा होमस्टे में उत्तराखंडी पौराणिक धरोहरों,पारंपरिक वस्तुओं,ग्रामीण काष्ठकला और पुराने सांस्कृतिक उपकरणों को भी संजोकर रखा गया है, जो पर्यटकों को पहाड़ की पहचान से जोड़ते हैं। सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए त्रिभुवन उनियाल ने कहा सरकारी योजनाओं का सही उपयोग किया जाए,तो पहाड़ में भी सम्मानजनक आय प्राप्त की जा सकती है। होमस्टे योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर खोले हैं। जिला पर्यटन विकास अधिकारी खुशाल सिंह नेगी ने कहा कि मोतीबाग रैबासा होमस्टे को होमस्टे अवधारणा के अनुरूप उत्कृष्ट रूप से विकसित किया गया है। यहां स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण और स्थानीय भोजन पर्यटकों को आकर्षित करता है,जिससे उत्तराखंड सरकार की पर्यटन बढ़ाने की मंशा को मजबूती मिल रही है। यह होमस्टे बता रहा है कि यदि योजनाओं का लाभ सही हाथों तक पहुंचे और वे निष्ठा से उसे आगे बढ़ाएं,तो पहाड़ में भी स्थायी,सफल और गरिमा से भरा स्वरोजगार संभव है। त्रिभुवन उनियाल की यह सफलता कथा आज पूरे जनपद के युवाओं को प्रेरित कर रही है कि गांव में रहकर भी बड़ा सपना पूर्ण किया जा सकता है,बस दृढ़ संकल्प और सरकारी योजनाओं की सही समझ जरूरी है।








