पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। राठ क्षेत्र के विकासखंड थलीसैंण स्थित पट्टी कण्डारस्यूं के ग्राम पैठाणी में आयोजित रामलीला समापन समारोह इस वर्ष एक विशेष और प्रेरणादायी संदेश के साथ सम्पन्न हुआ। श्रीराम के राज्याभिषेक की इस अलौकिक बेला को स्मरणीय बनाने हेतु पंचायत परिसर में तेजपत्ता का समलौण पौधा श्रीराम एवं माता सीता के हाथों विधिवत रूप से रोपित किया गया। यह अनूठी पहल न केवल धार्मिक उत्सव को प्रकृति से जोड़ती है बल्कि पर्यावरण संरक्षण का गहरा संदेश भी देती है। पौधे की देखभाल की जिम्मेदारी गांव की समर्पित समलौण सेना की सक्रिय सदस्य रिंकी देवी ने अपनी ओर से स्वीकार कर कार्यक्रम को विशेष महत्व प्रदान किया। कार्यक्रम का सफल संचालन समलौण संस्था के अध्यक्ष मनोज सिंह रौथाण ने किया। उन्होंने बताया कि समलौण आज पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक भावनात्मक और जन-सहभागिता आधारित आंदोलन बन चुका है। उन्होंने कहा कि जीवन के प्रत्येक संस्कार-जन्म,विवाह,पर्व,खुशी,दु:ख-हर अवसर पर पौधारोपण का संकल्प समलौण की पहचान है। इस परंपरा से प्रेरित होकर लोग रोपित पौधों को वृक्ष के रूप में देखकर स्वयं भी प्रकृति संरक्षण के लिए प्रेरित होते हैं,यही इस अभियान की सबसे बड़ी सफलता है। मनोज रौथाण ने क्षेत्रवासियों से इस परंपरा को और व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाने की अपील की,ताकि पर्यावरणीय असंतुलन,जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं से भविष्य की पीढ़ियों को बचाया जा सके। कार्यक्रम में रामलीला मंचन से जुड़े कई कलाकारों ने अपनी उपस्थिति से आयोजन को गरिमामय बनाया। रामलीला पात्र-श्रीराम के रूप में आशीष रावत,लक्ष्मण की भूमिका में आयुष कंडारी,सीता के रूप में अमन नेगी,भारत की भूमिका में सुजल कंडारी तथा शत्रुघ्न के रूप में नमन भंडारी शामिल रहे। मंचन का निर्देशन बलवंत सिंह रावत,माधव सिंह नेगी,दिगंबर सिंह रावत,विनोद सिंह रावत,राकेश कंडारी,मोहन सिंह रावत,विनोद रावत,रमेश कंडारी और विक्रम सिंह कंडवाल द्वारा किया गया। समलौण संस्था के संस्थापक वीरेंद्र दत्त गोदियाल,समलौण सेना की सदस्य रिंकी देवी कंडारी,उर्मिला देवी कंडारी,गंगोत्री देवी,सोनी रावत,सोनी देवी,सुमन चौहान,सावित्री कंडारी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। धर्म,संस्कृति और प्रकृति का यह सुंदर संगम पैठाणी गांव में सक्षम उदाहरण प्रस्तुत करता है कि सामुदायिक सहभागिता से पर्यावरण संरक्षण केवल अभियान नहीं बल्कि जन-आंदोलन बन सकता है।








