कीर्तिनगर/श्रीनगर गढ़वाल।
कीर्तिनगर तहसील परिसर में दशकों से लग रहे भोलू भरदारी एवं नागेंद्र सकलानी कलानी शहीदी मेले में इस वर्ष कुछ अलग और प्रेरणादायक देखने को मिलेगा। परंपरागत सांस्कृतिक आयोजनों के साथ अब महिला वॉलीबॉल और कबड्डी प्रतियोगिताएं मेले में नया उत्साह भरेंगी। खास बात यह है कि इन खेलों में 30 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं भी मैदान में अपना दमखम और जज्बा दिखाएंगी,जो मेले को अधिक जीवंत और प्रेरक बनाएगा। महिला खेल प्रतियोगिता की पहल माध्यम वर्ग बालिका एवं महिला क्रिकेट प्रतियोगिता के संस्थापक देवेन्द्र गौड़ द्वारा की गई है। वर्षों से बालिका एवं महिला खेलों को प्रोत्साहित कर रहे देवेंद्र गौड़ ने कहा खेलेगी मां,तो सीखेंगे बच्चे जैसे प्रेरणादायक स्लोगन के माध्यम से महिलाओं को खेलों में सक्रिय भागीदारी हेतु प्रोत्साहित किया है। इसी क्रम में उन्होंने कीर्तिनगर उप जिलाधिकारी मंजू राजपूत को शहीदी मेले में महिला वॉलीबॉल एवं कबड्डी प्रतियोगिता आयोजन करने का पत्र सौंपा। पत्र स्वीकार करते हुए उप जिलाधिकारी मंजू राजपूत ने प्रतियोगिता आयोजित करने की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा देवेन्द्र गौड़ वर्षों से महिलाओं और बालिकाओं के लिए खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करते आ रहे हैं। उनकी सोच और निरंतर प्रयासों का ही परिणाम है कि आज 30 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं भी मैदान में उतरकर शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। इससे बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ क्या हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे आयोजन महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाते हैं,समाज में सकारात्मक संदेश देते हैं और बच्चों के लिए प्रेरक उदाहरण बनते हैं। उप जिलाधिकारी ने नगर पंचायत को प्रतियोगिता कराने के लिए औपचारिक पत्र प्रेषित किया है,जिससे इस खेल आयोजन को सुव्यवस्थित एवं सफलतापूर्वक पूर्ण किया जा सके। शहीदी मेला वर्षों से क्षेत्रीय संस्कृति,शौर्य और परंपरा का प्रतीक रहा है,लेकिन इस बार महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से मेले का आकर्षण और बढ़ जाएगा। 30 वर्ष आयु की महिलाएं वॉलीबॉल और कबड्डी जैसे तेज-प्रतिस्पर्धी खेलों में उतरेंगी,जो यह संदेश देगा कि खेल उम्र नहीं,जज्बे से खेला जाता है। महिलाओं में आत्मविश्वास,स्वास्थ्य जागरूकता और सामाजिक सहभागिता बढ़ेगी,बच्चों व युवाओं को खेल संस्कृति अपनाने की प्रेरणा मिलेगी,मेले में विविधता और ऊर्जा बढ़ेगी,ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अपने खेल कौशल का प्रदर्शन कर पाएंगी। क्षेत्र में महिला खेल संस्कृति और मजबूत होगी। शहीदी मेले में आयोजित होने वाली महिला वॉलीबॉल और कबड्डी प्रतियोगिताएं केवल खेल आयोजन नहीं,बल्कि महिलाओं के सम्मान,सशक्तिकरण और सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक बनकर उभरेंगी। 30 वर्ष की उम्र पार कर चुकी महिलाओं का मैदान में उतरना यह साबित करता है कि जज्बा जिंदा हो तो हर मंजिल पास है।








