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जन्मदिन पर दिव्यांशु ने लगाया समलौण पौधा राजकीय जूनियर हाई स्कूल पाटुली में सिल्वर ओक का पौधारोपण

gvartanews by gvartanews
November 7, 2025
Reading Time: 1 min read
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पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। पर्यावरण संरक्षण का संदेश अब विद्यालयों से लेकर घर-परिवारों तक पहुंच रहा है। जनपद पौड़ी गढ़वाल के विकास खण्ड थलीसैंण स्थित राजकीय जूनियर हाई स्कूल पाटुली में कक्षा 7 के छात्र दिव्यांशु गोदियाल ने अपने जन्मदिवस को एक विशेष स्वरूप देते हुए विद्यालय परिसर के समलौण वन में सिल्वर ओक का पौधा रोपित किया। इस पहल ने जन्मदिन जैसे व्यक्तिगत अवसर को पर्यावरण संरक्षण के संदेश में बदल दिया। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के सहायक अध्यापक एवं समलौण आंदोलन के प्रणेता बीरेंद्र दत्त गोदियाल ने किया। उन्होंने बताया कि जन्मदिन को पौधारोपण से जोड़ना एक नई और सार्थक परंपरा है। इससे न केवल छात्र-छात्राओं में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना उत्पन्न होती है,बल्कि वे वृक्षों के महत्व को भी आत्मसात करते हैं। उन्होंने कहा कि आज यह पहल एक आंदोलन का रूप ले चुकी है। क्षेत्र के लोग अब अपने संस्कारिक अवसरों-जन्मदिन,विवाह,वर्षगांठ,नामकरण आदि पर समलौण पौधारोपण को एक नई सामाजिक परंपरा के रूप में अपना रहे हैं। यह आंदोलन न केवल पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ा रहा है बल्कि ग्रामीण समाज को अपनी जड़ों और प्रकृति से जोड़ने का कार्य भी कर रहा है। पौधे के संरक्षण की जिम्मेदारी स्वयं दिव्यांशु गोदियाल ने ली,जो इस बात का प्रतीक है कि आने वाली पीढ़ी अब पर्यावरण की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं उठाने को तत्पर है। इस अवसर पर विद्यालय की पर्यावरण की जिम्मेदारी लेने वाली सेना से जुड़ी छात्राएं कु.मानसी,आरुषि,रिया एवं मानसी नेगी उपस्थित रहीं। सभी ने एक स्वर में शपथ ली कि वे अपने आसपास हरित आवरण बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय भूमिका निभाएंगी। कार्यक्रम के अंत में बीरेंद्र दत्त गोदियाल ने क्षेत्रवासियों से अपील की कि वे हर शुभ अवसर पर एक पौधा समलौण के नाम अवश्य लगाएं,ताकि आने वाली पीढ़ियां एक स्वच्छ,हरित और स्वस्थ पर्यावरण पा सकें।

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भारत का सर्वश्रेष्ठ योग गुरु अवॉर्ड:योग को दिनचर्या में उतारने वाले सोहित ने देश का मान बढ़ायाप्रदीप फुटेलागदरपुर/नोएडा। किसान परिवार में जन्मे और एक छोटे से गाँव देवलटी से निकलकर पूरे देश में योग की अलख जगाने वाले वरिष्ठ योग गुरु सोहित योगी को भारत का सर्वश्रेष्ठ योग गुरु अवॉर्ड मिला है। योग,ध्यान और प्राकृतिक जीवनशैली को आम लोगों के जीवन में लाने के उनके प्रयासों ने,न सिर्फ हजारों परिवारों को लाभ पहुँचाया, बल्कि उत्तर प्रदेश का नाम भी राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। सोहित की यात्रा सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धियों की कहानी नहीं है, बल्कि यह योग को जीवन की पद्धति और विचार के रूप में स्थापित करने का प्रयास है।सोहित योगी बचपन से ही अध्यात्म,ध्यान और प्राणायाम की साधना से जुड़ गए थे। वे गुरु-शिष्य परंपरा में दीक्षित हुए और योग के पारंपरिक स्वरूप को आधुनिक जीवनशैली से जोड़ने का संकल्प लिया। अष्टांग योग,हठ योग,सूक्ष्म ध्यान,मंत्र साधना,योग निद्रा,प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के सिद्धांतों को उन्होंने अपने जीवन में आत्मसात किया। उनका कहना है, “योग सिर्फ शरीर का व्यायाम नहीं,बल्कि आत्म-ज्ञान का मार्ग है। इसे जीवन का आधार बनाना चाहिए।”सोहित योगी ने शुरुआती दिनों में कई संघर्ष झेले। आर्थिक चुनौतियाँ,संसाधनों की कमी और लोगों में योग को लेकर जागरूकता का अभाव— इन सबसे गुजरते हुए उन्होंने छोटे-छोटे योग शिविरों से शुरुआत की। वे बताते हैं कि शुरुआत में गाँव-गाँव जाकर लोगों को मुफ्त में योग सिखाने का काम किया। कई बार उन्हें संदेह,आलोचना और मज़ाक का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उनका विश्वास अटल रहा। धीरे-धीरे लोगों को उनके कार्य का परिणाम दिखने लगा और वह योग को स्वास्थ्य,संतुलन और मन की शांति का साधन मानने लगे।आज देश-विदेश में उनके योग शिविर लगाए जाते हैं। बड़ी कंपनियों,कॉलेजों,स्कूलों, वृद्धाश्रमों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी वे नियमित कार्यक्रम करते हैं। वर्तमान समय में तनाव,अवसाद,अनिद्रा,नशा, मोटापा, हृदय रोग व मानसिक असंतुलन जैसी समस्याएँ हर घर में देखने को मिल रही हैं। सोहित कहते हैं, “अगर रोज़ 20 मिनट ध्यान और प्राणायाम कर लिया जाए तो 80% तनाव और बीमारियाँ खुद ही दूर हो जाती हैं। दवाइयों से ज़्यादा ज़रूरी है स्वस्थ जीवन की आदतें।”सोहित योगी की कार्यशैली खास बात यह है कि वे योग को सिर्फ सिखाते नहीं,बल्कि लोगों को योग के दर्शन से भी जोड़ते हैं। उनके शिविरों में जाने वाले लोग बताते हैं कि शरीर के साथ-साथ मन और व्यवहार में भी परिवर्तन आता है। कई परिवार नशा-मुक्त हुए, कई विद्यार्थियों का एकाग्रता स्तर बढ़ा और बहुत से लोग आयुर्वेदिक जीवनशैली को अपनाने लगे। वे सात्विक भोजन,सूर्य नमस्कार, श्वास-प्रश्वास तकनीक,ध्यान मंत्र और मौन साधना पर विशेष जोर देते हैं।…………………

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बधाणीताल-भुनालगांव मोटर मार्ग निर्माण: जिलाधिकारी प्रतीक जैन के आश्वासन से जगी उम्मीदें, ग्रामीणों ने स्थगित किया अनशनजिलाधिकारी ने स्वयं धरना स्थल पर पहुंच कर तीन दिनों में फॉरेस्ट क्लियरेंस हेतु फाइल शासन को भेजने का दिया आश्वासनशासन एवं भारत सरकार स्तर पर त्वरित कार्यवाही का भरोसा, ग्रामीणों ने जिलाधिकारी का जताया आभाररुद्रप्रयाग। बधाणीताल से भुनालगांव मोटर मार्ग निर्माण की मांग को लेकर कुछ दिनों से बांगर क्षेत्र के ग्रामीण लोक निर्माण विभाग रुद्रप्रयाग कार्यालय के बाहर आमरण अनशन पर बैठे थे। ग्रामीणों के इस आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए आज जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग प्रतीक जैन, विधायक भरत चौधरी, प्रभागीय वनाधिकारी एवं संबंधित विभागीय अधिकारी स्वयं धरना स्थल पर पहुंचे।जिलाधिकारी ने ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से सुनते हुए कहा कि “मा० मुख्यमंत्री जी द्वारा भी मुझे एवं डीएफओ को इस प्रकरण पर शीघ्र कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं। शासन स्तर पर भी यह मामला गंभीरता से लिया जा रहा है।”उन्होंने बताया कि बधाणीताल से भुनालगांव तक नौ किलोमीटर लंबा मोटर मार्ग निर्माण कार्य वर्ष 2021 से विधिवत प्रक्रिया में है, जिसमें लगभग आठ किलोमीटर वन भूमि एवं एक किलोमीटर सिविल भूमि आती है। इस मार्ग के निर्माण में लगभग 1271 पेड़ (बांज, बुरांश एवं अन्य प्रजातियां) प्रभावित होंगी। एनजीटी एवं वन विभाग के नियमों के अनुसार जितने क्षेत्र में मार्ग निर्माण होगा, उतनी ही भूमि पर वृक्षारोपण भी अनिवार्य है।इसी क्रम में वन विभाग, राजस्व विभाग एवं लोक निर्माण विभाग द्वारा संयुक्त निरीक्षण के बाद साढ़े तीन हैक्टेयर भूमि का चयन कर लिया गया है, जिस पर वृक्षारोपण किया जाएगा। जिलाधिकारी ने बताया कि “कल प्रभागीय वनाधिकारी चयनित भूमि का स्थलीय निरीक्षण करेंगे, जो एक औपचारिक प्रक्रिया है। इसके पश्चात तीन दिनों के भीतर मोटर मार्ग निर्माण हेतु प्रस्ताव शासन को भेज दिया जाएगा।”उन्होंने आगे कहा कि “शासन स्तर पर सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर एक माह के भीतर यह फाइल भारत सरकार को फॉरेस्ट क्लियरेंस हेतु भेजी जाएगी। साथ ही भारत सरकार से यह अनुरोध भी किया जाएगा कि तीन माह के भीतर फॉरेस्ट क्लीयरेंस प्रदान की जाए।”जिलाधिकारी ने बताया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा मार्ग की डीपीआर तैयार करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, ताकि फॉरेस्ट क्लियरेंस मिलते ही निर्माण कार्य बिना किसी विलंब के शुरू किया जा सके।उन्होंने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि “यह मेरी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है कि इस क्षेत्र को शीघ्र सड़क मार्ग से जोड़ा जाए। मैं स्वयं इस कार्य की प्रगति पर निगरानी रखूंगा ताकि कोई विलंब न हो।”जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि यह क्षेत्र आपदा की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है, अतः शासन एवं जिला प्रशासन दोनों ही स्तरों से भारत सरकार को फाइल पर शीघ्र कार्यवाही करने का आवाहन किया जाएगा।जिलाधिकारी के आश्वासन के उपरांत ग्रामीणों ने उनका आभार व्यक्त करते हुए अपना आमरण अनशन स्थगित किया।संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिव लाल आर्य, केदार सिंह रावत एवं गैणू लाल ने जूस पीकर अनशन समाप्त किया।

बैकुंठ चतुर्दशी मेले में जिलाधिकारी ने पहाड़ी परिधान में दी संस्कृति बचाने की सीख-सुण दीदी सुण भुली-मैं त अपण संस्कृति बचौंण चली

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