श्रीनगर गढ़वाल। देवभूमि उत्तराखंड में श्रीक्षेत्र के नाम से विख्यात धार्मिक नगरी श्रीनगर जो भगवान श्री कमलेश्वर महादेव की पावन भूमि के रूप में जानी जाती है,एक बार फिर अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के रंगों में रंगने को तैयार है। आगामी 4 नवंबर से प्रारंभ होने वाले विश्वविख्यात बैकुंठ चतुर्दशी मेला एवं विकास प्रदर्शनी 2025 की भव्य तैयारियों का शुभारंभ रविवार को आवास विकास मैदान में भूमि पूजन कार्यक्रम के साथ हुआ। कार्यक्रम का आयोजन नगर निगम श्रीनगर की ओर से किया गया, जिसमें महापौर आरती भण्डारी,नगर आयुक्त नुपुर वर्मा,प्रभारी निरीक्षक कोतवाली जयपाल सिंह नेगी,पार्षदगण,नगर निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। वैदिक मंत्रोच्चारण और विधिवत पूजन-अर्चन के साथ मेले के सफल,सुरक्षित और भव्य आयोजन की कामना की गई। इस अवसर पर महापौर आरती भण्डारी ने कहा कि बैकुंठ चतुर्दशी मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं,बल्कि श्रीनगर की आत्मा है यह हमारी लोकसंस्कृति,लोककला और सामूहिक एकता का सजीव प्रतीक है। उन्होंने कहा कि नगर निगम इस वर्ष मेले को पहले से अधिक भव्य,स्वच्छ और आकर्षक स्वरूप देने के लिए पूरी निष्ठा से कार्य कर रहा है। उन्होंने नगरवासियों से अपील की कि सभी लोग अपने स्तर पर इस आयोजन में सहयोग करें ताकि श्रीनगर की पहचान और गौरव और अधिक ऊंचा उठ सके। नगर आयुक्त नुपुर वर्मा ने बताया कि मेला मैदान को सुव्यवस्थित रूप देने के लिए कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। इस वर्ष मेले में स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी,कृषि एवं उद्यान विभाग की विकास झांकियां तथा सांस्कृतिक मंच पर उत्तराखंड की लोक-संस्कृति से ओतप्रोत कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। नगर निगम ने इस बार मेले को स्वच्छता,सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के संदेश से जोड़ने का भी संकल्प लिया है। मैदान में कचरा पृथक्करण व्यवस्था,अस्थायी शौचालय,पेयजल स्टॉल,सुरक्षा गश्त और सीसीटीवी निगरानी जैसी व्यवस्थाओं को और सुदृढ़ किया जा रहा है। भूमि पूजन के साथ ही नगर के प्रमुख मंदिरों में श्री कमलेश्वर महादेव मंदिर,गणेश मंदिर,नागेश्वर महादेव,कटकेश्वर महादेव,कंसमर्दनी आदि की सजावट और रोशनी की तैयारियां भी आरंभ हो गई हैं। आवास विकास मैदान में स्टॉलों की रूपरेखा,झूला-चर्खियों की स्थापना तथा सांस्कृतिक मंच के निर्माण कार्य तेजी से प्रगति पर हैं। बैकुंठ चतुर्दशी मेला जो गढ़वाल की आस्था और लोकजीवन से गहराई से जुड़ा हुआ है,हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस वर्ष भी श्रीनगर नगर निगम और स्थानीय समाज की साझा भागीदारी से यह आयोजन प्रदेश में आस्था,सौहार्द और संस्कृति का अनूठा संगम प्रस्तुत करेगा। यह मेला हमारे पूर्वजों की परंपरा का प्रतीक है और श्रीनगर की पहचान का उत्सव भी। हमें गर्व है कि हम इस धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक और अधिक गरिमा के साथ पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।








