मुख्यमंत्री सहित जनप्रतिनिधियों ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि • मातमी धुन के बीच सैन्य जवानों ने झुकाए शस्त्र, गांव की आंखें नम चंपावत जिले के लधियाघाटी का वीर बेटा अग्निवीर दीपक सिंह आज सदा के लिए पंचतत्व में विलीन हो गया शनिवार को जम्मू कश्मीर के पुंछ कैंप में गोलियां लगने से उनकी मौत हो गई थी। राष्ट्रीय ध्वज में लिपटा उनका पार्थिव शरीर जब आज सुबह पैतृक गांव खरही पहुंचा तो पूरा गांव रो पड़ा। मां ने लाल को बाहों में भर लिया, पिता का हृदय फट सा गया और हर आंख नम हो उठी। मातमी वातावरण में गांव का माहौल शोकाकुल हो गया। दीपक ने कठिन परिस्थितियों में स्वयं को फौज के योग्य तैयार किया था। गांव में न मैदान था, न ट्रेनिंग की व्यवस्था, लेकिन फौजी बनने का जुनून इतना प्रबल था कि वह हर कठिनाई को पार करता चला गया। दोस्तों से वह हमेशा कहा करता था— “दुश्मन के दांत खट्टे कर दूंगा।”
दस दिन पहले ही वह छुट्टी बिताकर अपनी मां से यह कहकर गया था— “ईजा मी जल्दी घर उनू।”
लेकिन आज वह घर तो आया, पर आंखें बंद, शरीर शांत और तिरंगे में लिपटा हुआ।
पैतृक गांव से निकली अंतिम यात्रा के साथ नदी किनारे स्थित श्मशान घाट में दीपक की चिता सजाई गई। 6 राजपूताना राइफल्स के जेसीओ और जवानों ने मातमी धुन बजाकर तथा शस्त्र झुकाकर अपने वीर साथी को अंतिम सलामी दी। चंपावत इन्फेंट्री बिरगेड के सूबेदार दीपक सिंह, विक्रम सिंह के नेतृत्व में आए जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर दीपक को सैन्य सम्मान के साथ विदाई दी। अंतिम संस्कार के दौरान वातावरण गमगीन हो उठा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से नोडल अधिकारी केदार सिंह बृजवाल, क्षेत्रीय विधायक खुशाल सिंह अधिकारी, पूर्व विधायक पूरन फर्त्याल, ब्लॉक प्रमुख शंकर सिंह अधिकारी, जिलाधिकारी की ओर से एसडीएम अनुराग आर्या, तथा पुलिस विभाग की ओर से सीओ शिवराज सिंह राणा ने पुष्पचक्र अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि दी।
के निधन से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। घोर अभावों में जीवन बिताने वाला यह परिवार, बेटे दीपक में भविष्य की रोशनी देखता था, लेकिन नियति ने वह दीपक बुझा दिया। गांव का हर व्यक्ति यही कहता दिखा— “मृत्यु सत्य है, लेकिन देश के लिए प्राण न्योछावर करना सौभाग्य केवल भाग्यशाली वीरों को ही मिलता है।”








