कीर्तिनगर/श्रीनगर गढ़वाल। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की टिहरी गढ़वाल इकाई ने आज 30 नवंबर 2025 को कीर्तिनगर विकासखंड मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की। बैठक की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष राजीव उनियाल ने की। आगामी 7 दिसंबर 2025 को कीर्तिनगर रामलीला मैदान से मां धारी देवी मंदिर तक प्रस्तावित विशाल पुरानी पेंशन बहाली पदयात्रा को सफल बनाने के उद्देश्य से इस बैठक में रणनीति,तैयारी और जनसंपर्क अभियानों पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक को संबोधित करते हुए जिला अध्यक्ष राजीव उनियाल ने स्पष्ट कहा कि यह रैली केवल एक पदयात्रा नहीं,बल्कि कर्मचारियों के भविष्य की लड़ाई है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय,प्रदेश,मंडल तथा जिला स्तर की कार्यकारिणियों के सहयोग से यह रैली अब तक की सबसे प्रभावशाली रैली होने जा रही है,जिसमें हजारों कर्मचारी और मातृशक्ति का जनसमूह शामिल होगा। उन्होंने सभी विकासखंड स्तरीय पदाधिकारियों को निर्देश दिए कि जन-जागरूकता और तैयारी में कोई भी कमी न रह जाए। ब्लॉक अध्यक्ष संदीप मैठानी ने भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन बहाली केवल कर्मचारियों की मांग नहीं,बल्कि परिवारों की सुरक्षित भविष्य की चाबी है। उन्होंने कहा 7 दिसंबर की रैली को जनसैलाब में बदलना है,ताकि सरकार तक यह संदेश पहुंचे कि कर्मचारी अब अपने हक से पीछे नहीं हटेंगे। ब्लॉक महासचिव सुरजीत सिंह ने सभी विभागों के कर्मचारियों,अधिकारियों और शिक्षकों से इस जनआंदोलन का हिस्सा बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पेंशन प्रणाली को पुनः बहाल करने के लिए व्यापक जनसंपर्क ही सफलता का रास्ता है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता आगामी दिनों में गांव-गांव,दफ्तर-दफ्तर जाकर लोगों को 7 दिसंबर की पदयात्रा से जोड़ते रहेंगे। वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद चौहान ने कहा कि यह आंदोलन किसी एक वर्ग का नहीं बल्कि पूरे सरकारी कार्मिक परिवार का है। उन्होंने सभी कर्मचारियों से बढ़-चढ़कर शामिल होने की अपील की। बैठक में हिमांशु कुंवर,प्रमोद चौहान,ऋषि कुमार सिंह,अनिल भट्ट,भगवती प्रसाद,चंद्रशेखर उनियाल सहित अनेक पदाधिकारियों ने अपने सुझाव रखते हुए पदयात्रा को ऐतिहासिक बनाने का संकल्प व्यक्त किया। 7 दिसंबर को कीर्तिनगर से धारी देवी तक होने वाली यह पदयात्रा राज्य के कर्मचारी इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। पुरानी पेंशन प्रणाली की बहाली को लेकर उठी यह सामूहिक आवाज सरकार के लिए एक बड़ा संदेश होगी कि कर्मचारी अपने भविष्य की सुरक्षा को लेकर अब निर्णायक संघर्ष के लिए तैयार हैं।








