पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। राष्ट्रीय प्रेस दिवस-2025 के अवसर पर जिला मुख्यालय पौड़ी में आज एक महत्त्वपूर्ण एवं विचारोत्तेजक गोष्ठी का आयोजन किया गया। सूचना विभाग के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम का केंद्रबिंदु था बढ़ती भ्रामक सूचनाओं के बीच प्रेस की विश्वसनीयता का संरक्षण,जो डिजिटल युग की चुनौतियों के बीच पत्रकारिता के भविष्य और उसकी जिम्मेदारियों पर गहन विमर्श प्रस्तुत करता है। गोष्ठी की औपचारिक शुरुआत जिला सूचना अधिकारी योगेश पोखरियाल एवं उपस्थित वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इसके बाद पत्रकारिता की परंपरा,मूल्यों और वर्तमान परिदृश्य पर विस्तृत चर्चा का क्रम प्रारंभ हुआ। पत्रकारों का स्वागत करते हुए जिला सूचना अधिकारी योगेश पोखरियाल ने कहा कि डिजिटल क्रांति ने सूचना के प्रवाह को तेज किया है,लेकिन इसी गति के साथ अपुष्ट,भ्रम फैलाने वाली और उद्देश्यहीन सूचनाओं का प्रसार एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। उन्होंने कहा पत्रकारिता का ध्रुवतारा सत्य है। सटीकता और संतुलन के बिना मीडिया अपनी विश्वसनीयता खो देता है। डीआईओ पोखरियाल ने संविधान की समझ को भी पत्रकारों के लिए अनिवार्य बताया। उन्होंने कहा प्रेस की स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में अंतर समझना जरूरी है। घटना के भाव,संवेदनशीलता और संदर्भ को समझे बिना प्रस्तुत सूचना अधूरी रहती है और भ्रम की स्थिति पैदा कर सकती है। वरिष्ठ पत्रकार अनिल बहुगुणा ने कहा कि पत्रकारिता केवल तथ्य प्रस्तुत करने का कार्य नहीं,बल्कि समाज को दिशा देने वाली संस्था है। उन्होंने कहा फेक न्यूज,आधी-अधूरी जानकारी,सोशल मीडिया पर बिना पुष्टि वायरल सामग्री आज समाज के लिए गंभीर खतरे हैं। उन्होंने पत्रकारों को दो-स्तरीय पुष्टि और संदर्भपूर्ण रिपोर्टिंग की सलाह दी। विश्वसनीयता ही मीडिया की पूंजी है,इसे नैतिकता और अनुशासन से ही बचाया जा सकता है। वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन उनियाल ने कहा कि प्रेस दिवस पत्रकारिता जगत के लिए आत्मविश्लेषण का अवसर है। उन्होंने कहा गलत सूचना आज इतनी तेजी से फैलती है कि वह समाज की सोच को भ्रमित कर सकती है। ऐसे में पत्रकार की भूमिका सिर्फ खबर देने तक सीमित नहीं,बल्कि सही दिशा देने की भी है। उन्होंने संवेदनशीलता,पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा को आधुनिक पत्रकारिता की प्रमुख आवश्यकताएं बताया। वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत ने कहा कि सोशल मीडिया ने सूचना की पहुंच को अत्यंत व्यापक बना दिया है। लेकिन इसी व्यापकता ने अपुष्ट सामग्री को भी तेज गति से आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा पत्रकारों को तकनीकी कौशल बढ़ाने,डिजिटल ट्रेनिंग,तथ्य-जांच मॉड्यूल और नियमित वर्कशॉप अपनानी चाहिए ताकि वे नई चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें। गोष्ठी में उपस्थित पत्रकारों ने कहा कि इस वर्ष की थीम अत्यंत प्रासंगिक और समयानुकूल है। फेक न्यूज और दुष्प्रचार के इस दौर में प्रेस की विश्वसनीयता बचाने हेतु ऐसे आयोजनों की विशेष आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन प्रमोद बर्तवाल ने किया। जिले के दो दर्जन से अधिक पत्रकारों ने इस गोष्ठी में प्रतिभाग कर विचार-विमर्श में भागीदारी निभाई। राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित यह सारगर्भित गोष्ठी न केवल पत्रकारिता के मूल्यों को पुनः रेखांकित करती है,बल्कि यह भी संदेश देती है कि सत्य और सटीक जानकारी ही एक विश्वसनीय लोकतंत्र की आधारशिला है। भविष्य की पत्रकारिता-तथ्यपरक,संवेदनशील,संतुलित और जनहितकारी होने पर ही समाज मजबूत और जागरूक बन सकता है।








