पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। जनपद में किसी भी प्रकार की आपदा या आपात स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पुलिस प्रशासन द्वारा एक संयुक्त समन्वय मॉक ड्रिल आयोजित की गई। इस मॉक ड्रिल का लक्ष्य विभिन्न विभागों के बीच समन्वय,संसाधनों के उपयोग और वास्तविक परिस्थिति में कार्य-प्रणाली का परीक्षण करना था। इस अभ्यास में वास्तविक आपदाओं जैसी परिस्थितियां तैयार की गई,जिनमें श्रीनगर एवं पौड़ी क्षेत्र की अलग-अलग घटनाओं को शामिल किया गया-श्रीनगर क्षेत्र की घटनाएं स्वीत क्षेत्र में भूकंप की स्थिति भूकंप के झटकों के बाद कई स्थानों पर लोगों के फंसने और नुकसान की सूचना,श्रीकोट मॉल में शॉर्ट सर्किट से लगी आग,बेस अस्पताल में आईसीयू क्षतिग्रस्त होने से मरीजों के फंसने की सूचना व कीर्तिनगर पुल का क्षतिग्रस्त होना,पौड़ी क्षेत्र की घटनाएं मैसमोर कॉलेज में भूकंप के कारण छात्रों का फंसना,टेका के जंगल में भीषण आग लगना,देवप्रयाग व लक्ष्मणझूला क्षेत्र की घटनाए-टिहरी डैम से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने पर बाढ़ जैसे स्थिति उत्पन्न होना। जिसमें सभी विभागों की टीमों ने समयबद्ध तथा समन्वित रूप से राहत एवं बचाव कार्यों का प्रदर्शन किया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी सर्वेश पंवार के निर्देशन में संचालित किये जा रहे इस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य जनपद में किसी भी आपात स्थिति में विभिन्न विभाग समय पर और सही तरीके से कैसे प्रतिक्रिया देते हैं,और उनके बीच समन्वय कितना मजबूत है। इसके अभ्यास के प्रथम चरण में निर्धारित स्थलों पर आपदा की सूचना मिलते ही सभी टीमें अपने-अपने संसाधनों के साथ तुरंत घटनास्थल के लिए रवाना हुई और तय समय के भीतर पहुंचकर राहत कार्य शुरू कर दिया। घटनास्थल पर पुलिस टीम ने सबसे पहले आसपास के क्षेत्र को सुरक्षित किया,भीड़-प्रबंधन संभाला और रास्तों को साफ कराया,ताकि राहत टीमें आसानी से अपने काम कर सकें। फारेस्ट विभाग और फायर सर्विस की टीमों ने मिलकर आग पर नियंत्रण पाने के लिए अपने उपकरणों तैयारी हालत में रखा गया। इसके बाद शुरू हुआ एसडीआरएफ टीम का रेस्क्यू अभियान जिसमें एसडीआरएफ टीम के टीम ने मौके पर पहुंचकर तेजी से स्थिति का आंकलन किया और अपनी रेस्क्यू तकनीकों का प्रदर्शन किया। एसडीआरएफ के जवानों ने ऊंचाई या कठिन स्थानों से लोगों को निकालने,घायल व्यक्तियों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने,स्ट्रेचर कैरी,मानव-चेन बनाकर बचाव जैसे महत्वपूर्ण तरीके दिखाए। स्वास्थ्य विभाग की मेडिकल टीमों ने मौके पर मौजूद रहकर घायलों को उनकी स्थिति के अनुसार प्राथमिकता दी गई। गंभीर घायलों को तुरंत उपचार देने की व्यवस्था की गई,जबकि सामान्य चोट वाले व्यक्तियों का शुरुआती उपचार वहीं किया गया। इस दौरान सभी रेस्क्यू टीमें लगातार आपस में संपर्क में रहीं और हर कार्यवाही को मिलकर पूरा किया गया।








