उनका उद्देश्य है, पहाड़ के उन युवाओं को मंच देना, जिनके भीतर प्रतिभा है, लेकिन अवसर नहीं। टी-सीरीज़ कंपनी में बेहतरीन काम करने के बाद अर्जुन गढिया अब अपने गांव लौटे हैं। और यहीं से उन्होंने नई पहल की है। संगीत सिखाने और पहाड़ी संस्कृति को संवारने की।मीडिया से संवाद में अर्जुन गढिया कहते हैं, मेरा सपना है कि पहाड़ के बच्चे अपने गीत, अपनी भाषा और अपने सुरों से दुनिया तक पहुंचे।संगीत विद्यालय के उद्घाटन समारोह में श्रमजीवी पत्रकार यूनियन बागेश्वर के जिलाध्यक्ष किशन सिंह मलड़ा ने शिरकत की। उन्होंने अर्जुन गढिया के इस प्रयास को युवा शक्ति और पहाड़ी संस्कृति के संगम की मिसाल बताया। संगीत विद्यालय के पहले दिन अर्जुन गढिया ने अपने प्रिय गीत ‘बेडों पाको बारोबासा’ में हो रही अशुद्धियों को सुधार कर उसे सही स्वरूप में प्रस्तुत किया। उपस्थित दर्शकों ने इस पहल का तालियों से स्वागत किया।








