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राष्ट्रीय गंगा दिवस पर गंगा सेवा सम्मान से सम्मानित हुए एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रो.कपिल देव पंवार

gvartanews by gvartanews
November 6, 2025
Reading Time: 1 min read
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श्रीनगर गढ़वाल। राष्ट्रीय गंगा नदी दिवस के अवसर पर हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय परिसर में गंगा विश्व धरोहर मंच एवं विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस अवसर पर गंगा के आध्यात्मिक,सांस्कृतिक,साहित्यिक एवं पर्यावरणीय पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ,जिसमें देशभर के विद्वानों,पर्यावरणविदों,पत्रकारों और गंगा प्रेमियों ने भाग लिया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पद्मश्री तथा रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित एम.सी.मेहता ने कहा गंगा केवल नदी नहीं,बल्कि भारत की आत्मा है। यदि गंगा प्रदूषित होती है,तो हमारी संस्कृति,चेतना और सभ्यता भी दूषित हो जाती है। गंगा का संरक्षण राष्ट्र की आध्यात्मिक रक्षा का माध्यम है। उन्होंने यह भी कहा कि गंगा को स्वच्छ और अविरल बनाए रखना हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य है,न कि केवल सरकार या संस्थाओं की जिम्मेदारी। इस अवसर पर मेहता ने गढ़वाल विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रख्यात प्रोफेसर डॉ.कपिल देव पंवार को गंगा सेवा सम्मान से सम्मानित किया। यह सम्मान गंगा के साहित्यिक,सांस्कृतिक और जनजागरण से जुड़े उनके निरंतर योगदान के लिए प्रदान किया गया। सम्मान प्राप्त करने के उपरांत डॉ.पंवार ने गंगा के आध्यात्मिक आख्यानों और साहित्यिक स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए अपनी प्रसिद्ध गंगा कविता का पाठ किया। उन्होंने कहा गंगा सबकी आस्था का केंद्र है और आधे भारत की प्राणदायिनी। लेकिन दुख की बात यह है कि गंगा की जलधारा की स्थिति आज पर्यावरणीय दृष्टि से चिंताजनक है। गंगा को निर्मल और अविरल बनाए रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। उनके वक्तव्य पर सभागार देर तक तालियों से गूंजता रहा। संगोष्ठी में वक्ताओं ने गंगा के इतिहास,धर्म,समाज और पर्यावरण से जुड़े विविध पहलुओं पर विचार रखे। पर्यावरणविदों ने औद्योगिक अपशिष्टों पर चिंता व्यक्त की,वहीं पत्रकारों ने गंगा संरक्षण में मीडिया की जागरूक भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। साहित्यकारों ने गंगा को भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक बताते हुए कहा कि गंगा में भारत की संवेदना और सभ्यता प्रवाहित है। कार्यक्रम में गंगा संरक्षण,पर्यावरणीय पत्रकारिता,धार्मिक आस्था और जनजागरण के क्षेत्र में योगदान देने वाले कई विद्वानों,सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को भी सम्मानित किया गया। सभी प्रतिभागियों ने गंगा की स्वच्छता और अविरलता के लिए सामूहिक संकल्प लिया। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने एक स्वर में कहा गंगा हमारी पहचान है और इसका संरक्षण हमारा राष्ट्रीय दायित्व। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय प्रशासन एवं गंगा विश्व धरोहर मंच के पदाधिकारियों ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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भारत का सर्वश्रेष्ठ योग गुरु अवॉर्ड:योग को दिनचर्या में उतारने वाले सोहित ने देश का मान बढ़ायाप्रदीप फुटेलागदरपुर/नोएडा। किसान परिवार में जन्मे और एक छोटे से गाँव देवलटी से निकलकर पूरे देश में योग की अलख जगाने वाले वरिष्ठ योग गुरु सोहित योगी को भारत का सर्वश्रेष्ठ योग गुरु अवॉर्ड मिला है। योग,ध्यान और प्राकृतिक जीवनशैली को आम लोगों के जीवन में लाने के उनके प्रयासों ने,न सिर्फ हजारों परिवारों को लाभ पहुँचाया, बल्कि उत्तर प्रदेश का नाम भी राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। सोहित की यात्रा सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धियों की कहानी नहीं है, बल्कि यह योग को जीवन की पद्धति और विचार के रूप में स्थापित करने का प्रयास है।सोहित योगी बचपन से ही अध्यात्म,ध्यान और प्राणायाम की साधना से जुड़ गए थे। वे गुरु-शिष्य परंपरा में दीक्षित हुए और योग के पारंपरिक स्वरूप को आधुनिक जीवनशैली से जोड़ने का संकल्प लिया। अष्टांग योग,हठ योग,सूक्ष्म ध्यान,मंत्र साधना,योग निद्रा,प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के सिद्धांतों को उन्होंने अपने जीवन में आत्मसात किया। उनका कहना है, “योग सिर्फ शरीर का व्यायाम नहीं,बल्कि आत्म-ज्ञान का मार्ग है। इसे जीवन का आधार बनाना चाहिए।”सोहित योगी ने शुरुआती दिनों में कई संघर्ष झेले। आर्थिक चुनौतियाँ,संसाधनों की कमी और लोगों में योग को लेकर जागरूकता का अभाव— इन सबसे गुजरते हुए उन्होंने छोटे-छोटे योग शिविरों से शुरुआत की। वे बताते हैं कि शुरुआत में गाँव-गाँव जाकर लोगों को मुफ्त में योग सिखाने का काम किया। कई बार उन्हें संदेह,आलोचना और मज़ाक का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उनका विश्वास अटल रहा। धीरे-धीरे लोगों को उनके कार्य का परिणाम दिखने लगा और वह योग को स्वास्थ्य,संतुलन और मन की शांति का साधन मानने लगे।आज देश-विदेश में उनके योग शिविर लगाए जाते हैं। बड़ी कंपनियों,कॉलेजों,स्कूलों, वृद्धाश्रमों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी वे नियमित कार्यक्रम करते हैं। वर्तमान समय में तनाव,अवसाद,अनिद्रा,नशा, मोटापा, हृदय रोग व मानसिक असंतुलन जैसी समस्याएँ हर घर में देखने को मिल रही हैं। सोहित कहते हैं, “अगर रोज़ 20 मिनट ध्यान और प्राणायाम कर लिया जाए तो 80% तनाव और बीमारियाँ खुद ही दूर हो जाती हैं। दवाइयों से ज़्यादा ज़रूरी है स्वस्थ जीवन की आदतें।”सोहित योगी की कार्यशैली खास बात यह है कि वे योग को सिर्फ सिखाते नहीं,बल्कि लोगों को योग के दर्शन से भी जोड़ते हैं। उनके शिविरों में जाने वाले लोग बताते हैं कि शरीर के साथ-साथ मन और व्यवहार में भी परिवर्तन आता है। कई परिवार नशा-मुक्त हुए, कई विद्यार्थियों का एकाग्रता स्तर बढ़ा और बहुत से लोग आयुर्वेदिक जीवनशैली को अपनाने लगे। वे सात्विक भोजन,सूर्य नमस्कार, श्वास-प्रश्वास तकनीक,ध्यान मंत्र और मौन साधना पर विशेष जोर देते हैं।…………………

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बधाणीताल-भुनालगांव मोटर मार्ग निर्माण: जिलाधिकारी प्रतीक जैन के आश्वासन से जगी उम्मीदें, ग्रामीणों ने स्थगित किया अनशनजिलाधिकारी ने स्वयं धरना स्थल पर पहुंच कर तीन दिनों में फॉरेस्ट क्लियरेंस हेतु फाइल शासन को भेजने का दिया आश्वासनशासन एवं भारत सरकार स्तर पर त्वरित कार्यवाही का भरोसा, ग्रामीणों ने जिलाधिकारी का जताया आभाररुद्रप्रयाग। बधाणीताल से भुनालगांव मोटर मार्ग निर्माण की मांग को लेकर कुछ दिनों से बांगर क्षेत्र के ग्रामीण लोक निर्माण विभाग रुद्रप्रयाग कार्यालय के बाहर आमरण अनशन पर बैठे थे। ग्रामीणों के इस आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए आज जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग प्रतीक जैन, विधायक भरत चौधरी, प्रभागीय वनाधिकारी एवं संबंधित विभागीय अधिकारी स्वयं धरना स्थल पर पहुंचे।जिलाधिकारी ने ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से सुनते हुए कहा कि “मा० मुख्यमंत्री जी द्वारा भी मुझे एवं डीएफओ को इस प्रकरण पर शीघ्र कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं। शासन स्तर पर भी यह मामला गंभीरता से लिया जा रहा है।”उन्होंने बताया कि बधाणीताल से भुनालगांव तक नौ किलोमीटर लंबा मोटर मार्ग निर्माण कार्य वर्ष 2021 से विधिवत प्रक्रिया में है, जिसमें लगभग आठ किलोमीटर वन भूमि एवं एक किलोमीटर सिविल भूमि आती है। इस मार्ग के निर्माण में लगभग 1271 पेड़ (बांज, बुरांश एवं अन्य प्रजातियां) प्रभावित होंगी। एनजीटी एवं वन विभाग के नियमों के अनुसार जितने क्षेत्र में मार्ग निर्माण होगा, उतनी ही भूमि पर वृक्षारोपण भी अनिवार्य है।इसी क्रम में वन विभाग, राजस्व विभाग एवं लोक निर्माण विभाग द्वारा संयुक्त निरीक्षण के बाद साढ़े तीन हैक्टेयर भूमि का चयन कर लिया गया है, जिस पर वृक्षारोपण किया जाएगा। जिलाधिकारी ने बताया कि “कल प्रभागीय वनाधिकारी चयनित भूमि का स्थलीय निरीक्षण करेंगे, जो एक औपचारिक प्रक्रिया है। इसके पश्चात तीन दिनों के भीतर मोटर मार्ग निर्माण हेतु प्रस्ताव शासन को भेज दिया जाएगा।”उन्होंने आगे कहा कि “शासन स्तर पर सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर एक माह के भीतर यह फाइल भारत सरकार को फॉरेस्ट क्लियरेंस हेतु भेजी जाएगी। साथ ही भारत सरकार से यह अनुरोध भी किया जाएगा कि तीन माह के भीतर फॉरेस्ट क्लीयरेंस प्रदान की जाए।”जिलाधिकारी ने बताया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा मार्ग की डीपीआर तैयार करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, ताकि फॉरेस्ट क्लियरेंस मिलते ही निर्माण कार्य बिना किसी विलंब के शुरू किया जा सके।उन्होंने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि “यह मेरी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है कि इस क्षेत्र को शीघ्र सड़क मार्ग से जोड़ा जाए। मैं स्वयं इस कार्य की प्रगति पर निगरानी रखूंगा ताकि कोई विलंब न हो।”जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि यह क्षेत्र आपदा की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है, अतः शासन एवं जिला प्रशासन दोनों ही स्तरों से भारत सरकार को फाइल पर शीघ्र कार्यवाही करने का आवाहन किया जाएगा।जिलाधिकारी के आश्वासन के उपरांत ग्रामीणों ने उनका आभार व्यक्त करते हुए अपना आमरण अनशन स्थगित किया।संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिव लाल आर्य, केदार सिंह रावत एवं गैणू लाल ने जूस पीकर अनशन समाप्त किया।

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