पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। देवभूमि श्रीनगर के ऐतिहासिक आवास विकास मैदान में आज परंपरा,श्रद्धा और विकास का भव्य संगम देखने को मिला। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअल माध्यम से बैकुंठ चतुर्दशी मेला एवं विकास प्रदर्शनी का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी स्वाति एस.भदौरिया,नगर निगम श्रीनगर की मेयर आरती भण्डारी,नगर आयुक्त नुपुर वर्मा और विभिन्न जनप्रतिनिधि,प्रशासनिक अधिकारी,सामाजिक कार्यकर्ता एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु और नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक लोकधुनों,दीप प्रज्ज्वलन और स्वागत गीतों से हुआ। पीएम श्री राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की छात्राओं ने पारंपरिक वेशभूषा में अतिथियों का स्वागत कर देवभूमि की संस्कृति की झलक प्रस्तुत की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो संदेश के माध्यम से श्रीनगर वासियों को बैकुंठ चतुर्दशी की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि श्रीनगर का यह मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं,बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक है। यह मेला लोक-आस्था,परंपरा,हस्तशिल्प ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा श्रीनगर गढ़वाल शिक्षा-संस्कृति और आध्यात्मिकता की धरती है। बैकुंठ चतुर्दशी मेला यहां की पहचान है,इसे सहेजना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। सरकार का लक्ष्य है कि ऐसे मेलों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान मिले। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार देवभूमि की सांस्कृतिक एवं धार्मिक धरोहरों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। चाहे श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मास्टर प्लान के अंतर्गत पुनर्निर्माण कार्य हों या ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन हर दिशा में विकास कार्य तीव्र गति से प्रगति पर हैं। मुख्यमंत्री ने श्रीनगर क्षेत्र के विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि अलकनंदा तट पर गंगा संस्कृति केंद्र की स्थापना,रोडवेज बस स्टेशन पर पार्किंग निर्माण और नगर निगम के माध्यम से स्वच्छता,सौंदर्यीकरण और बुनियादी ढांचे का विस्तार तेजी से किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने बताया कि बिल्लकेदार एवं बेलकंडी क्षेत्र में नई टाउनशिप विकसित करने का कार्य भी जारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास प्रदर्शनी आमजन को शासन की योजनाओं से जोड़ने का माध्यम है। इसके माध्यम से लोग न केवल योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं,बल्कि जनसहभागिता और पारदर्शिता को भी बल मिल रहा है। उन्होंने नगर निगम श्रीनगर की सराहना करते हुए कहा कि स्वच्छता,जल संरक्षण और पर्यटन विकास की दिशा में निगम द्वारा किए जा रहे प्रयास अनुकरणीय हैं। मेयर आरती भण्डारी ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में श्रीनगर नगर क्षेत्र ने विकास की नई ऊंचाइयां छुई हैं। उन्होंने बताया कि नगर निगम ने डंपिंग जोन को वेस्ट टू वंडर पार्क में परिवर्तित कर स्वच्छता और सौंदर्यीकरण का उदाहरण पेश किया है। साथ ही पार्किंग स्थलों,सामुदायिक भवनों,स्ट्रीट लाइट्स और सड़कों के सुदृढ़ीकरण से शहर का चेहरा बदला है। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया और कहा कि बैकुंठ चतुर्दशी मेला श्रीनगर की अमूर्त धरोहर है,जिसे संरक्षित रखना सबकी जिम्मेदारी है। जिलाधिकारी स्वाति एस.भदौरिया ने भगवान कमलेश्वर महादेव को नमन करते हुए कहा कि बैकुंठ चतुर्दशी मेला सदियों पुरानी परंपरा,आस्था और सामूहिक समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह मेला अब केवल सांस्कृतिक नहीं,बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष मेले में कई नवीन गतिविधियां जोड़ी गई हैं बेबी शो,फन गेम्स,महिला खेल प्रतियोगिताएं,पारंपरिक परिधानों की प्रदर्शनी,विषयवार गोष्ठियां,विभिन्न विभागों के जानकारीपरक स्टॉल,इन सबके माध्यम से मेले को अधिक आकर्षक और जनोन्मुख बनाया गया है। जिलाधिकारी ने मेले के दौरान विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉलों का निरीक्षण किया,महिला स्वयं सहायता समूहों से संवाद किया और उनके उत्पाद भी खरीदे। उन्होंने कहा कि स्वावलंबी महिलाएं उत्तराखंड के ग्रामीण अर्थतंत्र की असली ताकत हैं। जिलाधिकारी एवं मेयर ने संयुक्त रूप से गुब्बारे उड़ाकर मेले का शुभारंभ किया। पूरा वातावरण लोकगीतों,वादन और जयघोष से गूंज उठा। इसके उपरांत दोनों अधिकारियों ने कमलेश्वर महादेव मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित एवं पूजा-अर्चना कर लोककल्याण और प्रदेश की समृद्धि की कामना की। कार्यक्रम का संचालन सरिता उनियाल एवं बबीता थपलियाल ने किया। मंच पर नगर आयुक्त नूपुर वर्मा,पीडी डीआरडीए विवेक कुमार उपाध्याय,बीडीओ दृष्टि आनंद,डीपीओ देवेंद्र थपलियाल,बीईओ अश्विनी रावत,तहसीलदार दीपक भंडारी,नगर निगम के पार्षदगण,सामाजिक कार्यकर्ता लखपत सिंह भंडारी तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। बैकुंठ चतुर्दशी-श्रीनगर की पहचान,श्रद्धा और विकास का उत्सव,हर वर्ष मनाया जाने वाला यह पर्व श्रीनगर की संस्कृति,लोक परंपरा और सामूहिकता का उत्सव है। इस बार मेला आस्था और प्रशासनिक समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण बनकर उभरा है। मेले की भव्यता,विकास प्रदर्शनी की उपयोगिता और जनसहभागिता ने इस आयोजन को देवभूमि की सांस्कृतिक धड़कन में बदल दिया है।








