कीर्तिनगर/श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड की वीर भूमि और लोक संस्कृति की धरोहर मलेथा गांव में पारंपरिक लोक पर्व इगास-बग्वाल का भव्य आयोजन किया गया। शौर्य और संस्कृति के प्रतीक वीर माधो सिंह भंडारी की इस पवित्र धरती पर ग्रामीणों ने हर्षोल्लास और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ यह पर्व मनाया। पूरे गांव में दीपों की जगमगाहट,ढोल-दमाऊं की थाप और लोक गीतों की मधुर धुनों से वातावरण पूरी तरह सांस्कृतिक रंग में रंग गया। भैलों कार्यक्रम बना आकर्षण का केंद्र संध्या के समय पारंपरिक भैलों जलाने का कार्यक्रम आयोजित किया गया,जिसमें बच्चों और युवाओं ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। जलती भेलो जब अंधेरी रात में आसमान की ओर घूमीं,तो पूरा मलेथा गांव मानो उजाले और उल्लास में नहा गया। भैलों कार्यक्रम में ग्रामीणों ने पारंपरिक वेशभूषा धारण कर लोक गीतों और नृत्यों के माध्यम से उत्तराखंड की जीवंत संस्कृति का मनमोहक प्रदर्शन किया। विधायक विनोद कंडारी के सानिध्य में हुआ आयोजन। इस। ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र के विधायक विनोद कंडारी के नेतृत्व और सानिध्य में किया गया। विधायक कंडारी ने कहा कि इगास पर्व हमारी संस्कृति की आत्मा है,जो हमें अपनी परंपराओं,पशुधन और लोक जीवन से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि मलेथा जैसी वीर भूमि पर इस पर्व का आयोजन केवल धार्मिक नहीं,बल्कि सांस्कृतिक एकता और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे अपनी परंपराओं और लोक पर्वों को इसी भावना से जीवित रखें, क्योंकि यही हमारी पहचान और गौरव की जड़ें हैं। अतिथियों ने बढ़ाया कार्यक्रम का गौरव इस अवसर पर अनेक जनप्रतिनिधि,सामाजिक कार्यकर्ता एवं सांस्कृतिक प्रेमी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे नगर पालिका अध्यक्ष ममता देवी,नगर पंचायत कीर्तिनगर के अध्यक्ष राकेश मैठानी,ब्लॉक प्रमुख विनोद बिष्ट,मंडल अध्यक्ष कुलदीप रावत,जिला उपाध्यक्ष नरेंद्र कुंवर,जिला मंत्री प्रमोद चंद,मंडल महामंत्री मनोज बागड़ी,पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष कैलाशी जाखी,प्रमुख आंचल खंडेलवाल,कनिष्ठ प्रमुख रामपाल एवं जागत राम तथा जिला पंचायत सदस्य रजनी पयाल। सभी अतिथियों ने ग्रामीणों के साथ इगास पर्व की पूजा-अर्चना में भाग लिया और पारंपरिक नृत्य-गीतों में सहभागिता कर इस लोक उत्सव की गरिमा को और बढ़ाया। कार्यक्रम के समापन पर स्थानीय लोक कलाकारों और आयोजन समिति के सदस्यों को सम्मानित किया गया। इस दौरान ढोल-दमाऊं,हुड़का और पारंपरिक नृत्य के साथ भैलों की लौ में गढ़वाल की संस्कृति का अद्भुत नजारा देखने को मिला। गांव की गलियों में बच्चों की हंसी,घर-आंगनों में जलते दीप और ढोल की थाप पर थिरकते ग्रामीण यह सब मिलकर मलेथा की वीर भूमि को एक बार फिर लोक आनंद और सांस्कृतिक गौरव से भर गए। इगास-बग्वाल परंपरा की ज्योति और विरासत की आवाज
यह पर्व केवल उत्सव नहीं,बल्कि एक स्मरण है कि हमारी असली ताकत हमारी संस्कृति,हमारी जड़ों और हमारी एकता में निहित है। मलेथा में इगास का यह आयोजन न केवल लोक परंपरा का पुनर्जीवन है,बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक चेतना का प्रेरक संदेश भी है। जहां दीप जलते हैं,वहां केवल उजाला नहीं,बल्कि संस्कृति की लौ भी जलती है-मलेथा की यह इगास उसी उजाले की गवाही दे रही है।








